क्या तुम जानते हो गम्भीर बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज
यह चिकित्सा नवजात शिशु से 10 वर्ष के बच्चे तक के लिए है।
सभी औषधियों की मात्रा 1ml से 10 ml तक। बच्चा यदि नवजात है तो मां के दूध के साथ अथवा बराबर मात्रा में गुनगुने पानी के साथ
*पीलिया* - भूमि आंवला, पुनर्नवा का अर्क।
*कब्ज ठंडी के मौसम* - हरितिकी, अमलताश, अजवाइन का अर्क।
*कब्ज गर्मी के मौसम* - हरितिकी, अमलताश का अर्क।
*मूत्रत्याग कम होने पर* - गोखरू, पुनर्नवा, मकोय, गोमूत्र का अर्क।
*लिवर प्लीहा की सूजन* - एलोवेरा, पुनर्नवा, शरपो खा, हरितिकी, गोमूत्र का अर्क।
*बुखार* - गिलोय, चिरायता (कालमेघ) लता करंज, नीम छाल, गरूड़ छाल का अर्क।
*सर्दी जुकाम निमोनिया* - सोंठ, जंगली करोदा छाल, थूहर के पत्ते, लेडीपीपर का अर्क।
*निमोनिया तेल एवं हाथ पैर दर्द* -
सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिये - लहसुन, हींग सरसो के तेल में उबालकर पीठ, छाती सहित पूरे शरीर मे लगाना है।
*दस्त गर्मी के मौसम* - कुटज, सोफ़, आंवला, जीरा पोदीना का अर्क।
*दस्त ठंडी के मौसम* - कुटज, अजवाइन, करोदा का अर्क।
*उल्टी* - पुदीना, आंवला, सोफ़, हल्दी का अर्क।
*गैस* - अजवाइन, सोफ़, जीरा, हरितिकी, अमलताश का अर्क।
*एसिडिटी* - जीरा, सोफ़, पुदीना, आंवला, हरितिकी का अर्क।
*सूखी खाँसी* - आंवला, बहेड़ा, मुल्हेठी का अर्क।
*पेट दर्द* - एलोवेरा, अजवाइन, करोदा का अर्क, हींग(राई के दाने के बराबर के साथ।
*आंख आने पर (कीचड़ आने पर एवं आंख में किसी कारण से चोट लगने से खून जमा हो तो* - हल्दी का अर्क।
*बच्ची की योनि से रक्त आने पर* - केले के कंद का अर्क।
*चर्मरोग* - सत्यानाशी जड़, गिलोय, नीम, हल्दी, चिरायता का अर्क पिलाना है।
*चर्मरोग में बाहरी प्रयोग शरीर पर लगाने के लिए* - अरंड के पत्ते, धतूरा का फल का अर्क (*ध्यान रहे यह जहरीला होता है सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिए है*)
*हाथ पैर दर्द*- पारिजात, सहिजना, निर्गुण्डी का अर्क।
*यूरिक एसिड* - मेथी, सहिजन छाल का अर्क।
Comments
Post a Comment